अच्छा और बेहतर इंसान कैसे बने - १५ तरीके

अच्छा और बेहतर इंसान कैसे बने - १५ तरीके

‘अच्छा इंसान’ बनना इतना भी मुश्किल नहीं

अक्सर हम लोगों को बातचीत में यह कहते सुनते हैं कि ‘अच्छे लोग अब मिलते कहां है?’ या ‘आजकल तो भगवान ने अच्छे लोग बनाना ही बंद कर दिया है। अगर आप भी ऐसे ही बातें कहते हैं तो समय आ गया है कि इस लेख को एक बार पढ़ लें। किसी समझदार व्यक्ति ने कहा था कि आप जैसे व्यवहार की उम्मीद लोगों से करते हैं, वैसा व्यवहार पहले खुद लोगों के साथ करें। यहां पर भी यही बात लागू होती है। अच्छे लोग आपको तभी मिलेंगे, जब आप खुद अच्छे बनेंगे, तो क्यों न शुरुआत आज से ही की जाये।

घबराएं नहीं, अच्छा बनना कोई कठिन काम नहीं है। आपको रुपये खर्च करने की भी जरूरत नहीं और न ही किसी बड़ी चीज के त्याग की जरूरत है। आप बस छोटी-छोटी बातों को ध्यान रख अच्छा इंसान बन सकते हैं।

आइए जानें कि वे बातें कौन-सी हैैं।

१. ‘सॉरी’, ‘थैंक्यू’ और ‘प्लीज’ जैसे जादुई शब्दों को अपनी बोलचाल की भाषा में शामिल करें। ये शब्द दिखने में बहुत छोटे हैं, लेकिन प्रभाव गहरा डालते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि दोस्त, रिश्तेदार, परिवार व ऑफिस में किसी से हमारा झगड़ा हो जाता है। बाद में समय के साथ धीरे-धीरे झगड़ा खत्म हो जाता है। हम बातचीत शुरू कर देते हैं, लेकिन दिल में ये मलाल हमेशा के लिए रह जाता है कि गलती सामनेवाले की थी, उसे ये बात समझ भी आई, लेकिन उसने एक बार भी ‘सॉरी’ नहीं कहा। सॉरी बोलने से वो छोटा हो जाता है क्या? यह सब बातें थैंक्यू व प्लीज के साथ भी हैं। किसी ने कोई मदद की, तो उसे तुरंत थैंक्यू बोलें। किसी से कोई काम करवाना हो, मदद लेनी हो तो प्लीज जरूर बोलें। भले ही घर के सदस्य ही क्यों न हों। उदाहरण के तौर पर ‘मम्मी, प्लीज खाना दे दो…’ और ‘मम्मी, खाना दे दो’। दोनों को बोल कर देखें। पहले तरीके में प्रेम, अपनापन, सम्मान है, वहीं दूसरे तरीके में आदेश महसूस होता है।

२. यदि किसी ने आप पर भरोसा कर के कुछ बात कही है, तो उस भरोसे को संभालें। यदि उसने किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में आपसे कुछ कहा है, तो आपको इसलिए कहा है, क्योंकि उसे आप पर भरोसा है। आप जाकर उस तीसरे व्यक्ति को वह बात बता देंगे और फिर दोनों को झगड़ा होगा, तो मतभेद होंगे। देखा जाये तो आपको भी इससे फायदा नहीं होगा, क्योंकि पहला इंसान तो धोखा खाने के कारण आपसे नफरत करेगा ही साथ ही दूसरा इंसान भी मन ही मन तय कर लेगा कि ये इंसान भरोसे के लायक नहीं। आज किसी और की बात मुझे कही, कल मेरी बात भी किसी और को बता सकता है।

३. जब भी किसी से उधार लें, उसे तय समय पर चुका दें। ये न सोचें कि जब तक सामनेवाले ने रूपये मांगे नहीं, तब तक वापस देने की जरूरत नहीं। उस व्यक्ति के बिना याद दिलाये जब आप रूपये लौटाते हो, तो यह आपकी ईमानदारी और चरित्र को दर्शाता है. ऐसा करने से वह इंसान भविष्य में भी आपकी दोबारा मदद करता है, क्योंकि उसने आपकी ईमानदारी देखी है।

४. लोगों से पर्सनल सवाल न पूछें। अगर सामने वाला आपको करीबी मानता होगा या उसे बताने का मन होगा, तो खुद बता देगा। आप कभी किसी से उसकी सैलरी, उम्र ने पूछे। यह न पूछें कि शादी को इतने साल हो गये तो बच्चे क्यों नहीं है? प्लानिंग कर रहे क्या? किराये के मकान में क्यों रह रहे हो? खुद का घर ले लो? कोई पैसों की दिक्कत है क्या? आपका पति से झगड़ा हुआ है क्या, वो काफी गुस्से में दिखे मुझे।

५. कुछ बेसिक एटिकेट्स भी जानने जरूरी हैं, जैसे किसी के घर जाएं तो जूते बाहर उतारें। अगर वह कहे कि जूते उतारने की जरूरत नहीं, तभी जूतों के साथ अंदर जाएं। अगर कोई बातचीत के बीच में किसी काम से किचेन, बेडरूम में गया है, तो उसके पीछे-पीछे न चले जाएं। किचेन के बर्तनों के ढक्कन उठाकर ये न चेक करें कि आज खाने में क्या बना। वॉशरूम इस्तेमाल करने से पहले पूछें। किसी भी डायरी, एलबम या ऐसी किसी चीज को खुद से उठाकर देखने न लगें।

६. पब्लिक प्लेसेज में भी कुछ बातों का ध्यान रखें। लिफ्ट हो या आम दरवाजा, अपने पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा दरवाजा खोलें। खुद दरवाजे से निकल जाने के बाद अचानक दरवाजा छोड़ें नहीं, पीछे वाले को भी बाहर निकलने दें।

७. किसी भी दोस्त, रिश्तेदार के साथ कहीं बाहर जाएं, तो पेमेंट बराबर से करें। अगर एक बार सामनेवाले ने मूवी का खर्च उठाया है, तो अगली बार आप खर्च उठाएं। रेस्टोरेंट में उसने बिल भरा है, तो टैक्सी का किराया आप दें। कभी ये सोचें कि सामनेवाला ज्यादा अमीर है, अगर वह हर बार बिल भर भी दे तो उसे क्या फर्क पड़ता है। इससे आपका दूसरों से फायदा उठाने का स्वभाव समझ आता है।

८. किसी भी इंसान को अच्छी तरह जाने बिना उसके बारे में राय न बनाएं। आपको नहीं पता कि सामनेवाला किन परिस्थितियों से गुजरा है या गुजर रहा है। उसका बैकग्राउंड क्या है? ये भी याद रखें कि जो जैसा दिखता है, वह वैसा ही हो, ऐसा जरूरी नहीं। बाहरी आवरण देख राय बनाना सही नहीं। लोगों को समझने में समय लें।

९. सभी प्रकार के विचारों का सम्मान करें। विषय कोई भी हो, हेल्दी बहस करें। बेवजह चिल्ला-चिल्ला कर खुद को सही साबित करने की कोशिश न करें। याद रखें कि आपके लिए जो 6 है, वो सामने आने वाले को 9 भी दिखाई दे सकता है। अगर बहस का कोई हल न दिखे, तो उसे वहीं बंद करने का निर्णय लें और इसे यह बोल कर ही खत्म करें कि आप और मैं दोनों ही शायद अपनी-अपनी जगह सही है। हमारे विचार इस विषय में मेल नहीं खाते। बेहतर है कि इस बहस को यही रोक दें।

१०. जब कोई आपसे बात करें, तो उसकी बातों को सुनें। आंखें मोबाइल या लैपटॉप पर गढ़ाये हुए उनसे बात न करें। सामनेवाले की आंखों में देख कर उनसे बात करें, ताकि उन्हें लगे कि आप उन्हें सुन रहे हैं। साथ ही किसी को बोलते वक्त बीच में न काटें।

११. अगर आप किसी के साथ हंसी-मजाक करते हैं और सामनेवाला इससे खुश न दिखे तो इसे तुरंत रोक दें और पहले किए गये मजाक के लिए माफी मांग लें। सभी को मजाक पसंद हो, यह जरूरी नहीं।

१२. कभी भी किसी के घर खाने पर जाएं, तो खाना बनाने वाले की तारीफ जरूर करें। यहां तक कि अपने घर की महिलाओं की भी तारीफ जरूर करें, जब वह कुछ खास डिश बनाये या कभी यूं ही कर दिया करें। वे दिनभर के काम निपटाने के साथ-साथ आपके लिए कोई डिश बनाती हैं, तो उन्हें तारीफ तो मिलनी ही चाहिए। याद रहे, ऑफिस हो या घर, तारीफ सार्वजनिक रूप से करें और आलोचना निजी तौर पर। कोशिश करें कि दिन में कम से कम पांच बार किसी न किसी की तारीफ करें। इसे प्रैक्टिस में लें, फिर देखें कि लोगों का व्यवहार आपके प्रति कितना बदल जाता है।

१३. किसी के वजन, रंग, दांत यानी किसी भी तरह की शारीरिक बनावट पर टिप्पणी न करें। अगर आपके पास उनके लिए कोई राय है, तो भी केवल इकना ही कहें कि "आप शानदार दिखते हैं" यदि वे आपसे वजन कम करने या के बारे में बात करना चाहते हैं, तो वे करेंगे...

१४. अमीर हो या गरीब दोनों से समान व्यवहार करें, इज्जत दें। कई बार हम देखते हैं कि लोग अपने अमीर रिश्तेदारों व दोस्तों को तो खूब तवज्जो देते हैं, लेकिन गरीब रिश्तेदारों व दोस्तों से दूरी बना कर रखते हैं। याद रखें, कब कोई अमीर इंसान गरीब बन जाये और कब कोई गरीब इंसान अमीर बन जाये, ये कोई नहीं कह सकता। एक बात यह भी है कि कोई भी इस बात से प्रभावित नहीं होता है कि आप अमीर या बड़े पद के लोगों से कैसा व्यवहार करते हैं। लोग यही देखते हैं कि आपने अपने से नीचे के लोगों के साथ कितना बुरा व्यवहार किया। अगर आप उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं तो लोग नोटिस करेंगे और आपके प्रति उनके दिल में सम्मान बढ़ जायेगा।

१५. दूसरों के काम का सम्मान करें। आप भले ही कंपनी में बड़े पद पर हों और सामनेवाला क्लर्क हो, लेकिन इससे आपका काम ज्यादा जरूरी और सामनेवाला का कम जरूरी नहीं हो जाता। ये ही बात हाउस वाइफ के साथ भी लागू होती है। आप बाहर जाकर रुपये कमाकर लाते हैं, तो आप ज्यादा मेहनत करते हैं, लेकिन वह घर पर रहती है और उसे उसके काम के रुपये भी नहीं मिलते, तो वह मेहनत नहीं करती, ऐसा न सोचें। आप तभी निश्चिंत होकर काम कर पा रहे हैं, क्योंकि घर की सारी जवाबदारी आपकी पत्नी, मां ने उठा रखी है। उन्हें सम्मान दें। उन्हें भी एक दिन आराम का मौका दें। बाहर से खाना मंगा कर या कभी खुद उनकी मदद कर।

इन छोटी-छोटी आदतों को अपनाकर हम एक अच्छे और बेहतर इंसान बन सकते है।