एक अच्छा दामाद बनने के  4 टिप्स

एक अच्छा दामाद बनने के 4 टिप्स

दामाद और ससुराल का रिश्ता भी है खास

एक बहू को अपने ससुराल में कैसे एडजस्ट करना चाहिए? कैसे सभी का दिल जीत लेना चाहिए? कैसे सास-ससुर को अपने माता-पिता मान कर सेवा करनी चाहिए? इस पर आपने बहुत से लेख पढ़े होंगे। ये भी पढ़े होंगे कि ससुराल वालों को अपनी बहू के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, ताकि उसे मायके की याद न सताये, लेकिन आपने दामाद और ससुराल के साथ उसके संबंधों पर शायद ही कोई लेख पढ़ा होगा। इस विषय पर बहुत कम बात होती है, इसलिए आज हम आपको इस रिश्ते को मजबूत करने के तरीके बता रहे हैं।


1. सास-ससुर को साथ रहने बुलाएं

जमाना आज इतना मॉडर्न हो गया है, लड़का और लड़की दोनों शादी के बाद कमा रहे हैं, अपने पैरों पर खड़े हैं, लेकिन इन सबके बावजूद यह देखा जाता है कि एकलौते बेटे के माता-पिता अपने बेटे-बहू के साथ रहते हैं, लेकिन एकलौती बेटी के माता-पिता अपनी बेटी के साथ नहीं रहते। वे कितने ही बुजुर्ग क्यों न हो जाएं, अकेले रहने में उन्हें परेशानी आये, लेकिन वे बेटी व दामाद के घर नहीं जाते। उन्हें समाज के तानों का डर होता है जो कहता है कि बेटी के ससुराल में कुछ खाते नहीं और ये रहने चले गये।

वहीं बेटी भी दिल से चाहते हुए भी उन्हें साथ रहने को नहीं बुला पाती, ये सोच कर कि ससुराल वालों को बुरा लगेगा। पति न जाने क्या सोचेंगे? ऐसे में एक दामाद की जिम्मेदारी होती है कि वह आगे बढ़कर अपने सास-ससुर को अपने साथ रहने को कहे। उनसे जिद करे। अगर ससुर अकेले हैं या सास अकेली हैं, तब तो यह और जरूरी हो जाता है कि आप उन्हें साथ रहने बुलाएं। दामाद को समझना होगा कि जब वे उनके माता-पिता को ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकते, तो एक बेटी अपने माता-पिता को अकेले ऐसे हालात में छोड़कर खुश कैसे रहेगी? जब आप इस भावना को समझकर ये कदम उठायेंगे तो यकीन मानिए आपकी पत्नी भी आपका दिल से सम्मान करेगी। वह आपके माता-पिता की और ज्यादा देखभाल करेगी, क्योंकि आपने उसके माता-पिता के बारे में सोचा।


2. बहुएं तो सभी रिश्ते निभाती हैं, दामाद क्यों नहीं?

बहुएं अपने सास-ससुर के बर्थडे, एनिवर्सरी को याद रखती है। उस दिन केक बनाती हैं, अच्छा खाना बनाती हैं। ननद व देवर के बर्थडे याद रख उन्हें गिफ्ट देती हैं। उनकी पसंद की चीजें बनाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसा देखा है कि दामाद ने सास-ससुर के लिए ऐसा कुछ किया? नहीं। पत्नियों को ही याद दिलाना पड़ता है कि आज मेरे मम्मी-पापा का बर्थडे या मैरिज एनिवर्सरी है। उन्हें फोन कर के विश कर देना, उन्हें अच्छा लगेगा।

आपने नोटिस किया है या नहीं, लेकिन ये सच है कि मदर्स डे पर एक बहू अपनी मां के साथ सास का फोटो अपलोड करती है और दोनों माताओं के प्रति आभार व्यक्त करती हैं। फादर्स डे पर भी वह पिता व ससुर दोनों को फोटो अपलोड करती है, लेकिन कभी भी लड़के अपनी मां के साथ सास या पिता के साथ ससुर का जिक्र तक नहीं करते। सवाल ये है कि क्या शादी के बाद एक लड़की को ही नया परिवार मिलता है? लड़के को नहीं? लड़कों को इस बारे में सोचना चाहिए


3. दामाद की तरह आराम नहीं, बेटे की तरह काम करें

सालों से चली आ रही परंपराओं के कारण दामाद को बहुत खास समझा जाता रहा है। उन्हें सिर आंखों पर बिठाया जाता रहा है। अपनी खातिरदारी को देख लड़के भी उसमें डूब जाते हैं और भूल जाते हैं कि जो परिवार उनकी इतनी देखभाल कर रहा है, वह अब उसका भी है।

जिस तरह इस परिवार की बेटी ने उसके परिवार को अपनाया है, उसी तरह अब उसे भी अपनी पत्नी के परिवार को दिल से अपनाना होगा, उनका उतना ही सम्मान करना होगा। ससुराल में कुछ दिन रहना पड़े तो बेटे की तरह मदद करनी है, ना कि दामाद की तरह आराम फरमाते हुए सभी को काम बोलना है।


4. कभी यूं ही फोन लगा लेना भी है जरूरी

जिस तरह बहू से उम्मीद की जाती है कि दूर रहने के बावजूद सास-ससुर को फोन लगा लिया करे, हालचाल पूछ लिया करे। उसी तरह दामाद से भी ये उम्मीद की जानी चाहिए कि बिना काम के भी ससुराल वालों को फोन लगा लिया करें। कई घरों में देखा जाता है कि मम्मियां ही अपने बेटों को समझाती रहती हैं कि तुम दामाद हो, तुम्हारा मान है, तुम यूं ही बिना बुलाये नहीं जा सकते। उन्हें तुम्हें मान के साथ खुद बुलाने आना चाहिए। उन्हें तुम्हारी मां को फोन कर के त्योहारों पर बधाई देनी चाहिए। आखिर हम लड़के वाले हैं। वगैरह… वगैरह…।

मम्मियों को अपनी ये आदत बदलनी चाहिए और बेटों को भी चाहिए कि मम्मियों को समझाएं। हर मौके पर बेटी के घरवालों को दबाना, खुद को बड़ा साबित करना, लड़के वाले होने के घमंड रखना ठीक नहीं। जितना सम्मान एक बेटे के माता-पिता को मिलता है, उतना ही बेटी के माता-पिता को भी मिलना चाहिए। जब हर कोई ये सोच रखेगा तभी कोई बेटियों को बोझ नहीं समझेगा।


कई घरों में बदले हैं हालात, आप भी उनसे सीख ले कर ये सब करें

  • कई घरों में देखा गया है कि ससुर व दामाद एक दोस्त की तरह बातें करते हैं। न्यूज चैनल देख राजनीति पर स्वस्थ बहस करते हैं, साथ मैच देखने स्टेडियम जाते हैं।
  • सास या ससुर दोनों में से कोई भी अब अकेला रह गया है तो दामाद उन्हें साथ रहने की जिद करते हैं और अपने माता-पिता की तरह ख्याल रखते हैं।
  • दामाद को अगर कोई आर्थिक परेशानी आती है तो ससुर जिद करते हुए मदद का हाथ बढ़ाते हैं। दामाद भी बीमार सास-ससुर के इलाज का खर्च उठाते हैं।
  • जिस तरह बेटे अपने माता-पिता को घुमाने ले जाते हैं, उसी तरह कई दामाद अपने परिवार के साथ-साथ पत्नी के माता-पिता को भी साथ घुमाने ले जाते हैं। खासतौर पर तब, जब पत्नी उनकी एकलौती औलाद हो।
  • ससुराल में किसी की शादी हो या कोई अन्य कार्यक्रम होता है तो दामाद बिना किसी शर्म व झिझक के सारे काम करते हैं।
  • ऐसे भी दामाद हैं, जो अपनी सास या ससुर के जन्मदिन पर उन्हें फेसबुक पोस्ट लिखकर विश करते हैं। उनका देहात होने पर इमोशनल पोस्ट लिखते हैं। हालांकि अभी इनकी संख्या बहुत कम ही है।