अंकों का खेल

अंकों का खेल

कुछ अंक आपको हमेशा आकर्षित करते हैं। आप उन अंकों को कहीं न कहीं अपने रोज़मर्रा के जीवन में शामिल करते हैं। जैसे कुछ लोगों को सुबह चार बजे उठने की आदत होती है। यदि आप भारत में हैं तो इसे ‘ब्राह्म मुहूर्त’ में उठना कह सकते हैं और भारत के बाहर रहते हैं तो इसे ‘4 एएम क्लब’ का सदस्य होना कह सकते हैं। माना जाता है कि ऐसे लोग दिन के शुरुआती घंटों में अधिक से अधिक काम कर लेना चाहते हैं।

हर अंक के साथ कुछ अच्छी बातें जुड़ी होती हैं, वहीं हर अंक के साथ कुछ ऐसी बात भी होती है जो उसकी छाया होती है। जैसे सुबह चार बजे उठने वालों के मन में हमेशा यह डर रहता है कि उनके पास पर्याप्त समय नहीं बचेगा। उन्हें समय सीमा का डर सताता रहता है, उन्हें लगता है कि यदि वे जल्दी नहीं उठे तो उनसे कुछ छूट जाएगा। यह उस अंक के साथ जुड़ा डर है।

देखिए आपको कौन-सा अंक अधिक आकर्षित करता है? कौन-सा अंक है जो आपके फ़ोन नंबर में है, आपकी गाड़ी का नंबर है या घड़ी का वह समय है या कैलेंडर की वह तारीख है या ऐसा कुछ भी जो आपको किसी ख़ास अंक की ओर आकर्षित करता है।

यहाँ इसे अपने जन्म दिनांक से जोड़ने की ग़फ़लत मत कीजिएगा। आपका मूलांक कुछ भी हो सकता है, लेकिन कोई और अंक आपको आकर्षित कर सकता है। अंकों के उजले पक्ष पर हमेशा ज़ोर दिया जाता है, पर उससे जुड़ी छाया की बात कोई नहीं करता। आइए आज हम उसी पर बात करते हैं और उसकी छाया से निकलने की कोशिश करते हैं।

अंक 1

यह अंक दिखाता है कि शक्ति और नियंत्रण को लेकर आप कैसा महसूस करते हैं! आप दूसरों के प्रति कितनी सहानुभूति रखते हैं, यह उसका प्रतीक है। आप अपने आस-पास के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह उसे भी दिखाता है। लेकिन यह इसे भी बताता है कि आप दूसरों से कितना दबते हैं और दूसरों को कितना दबाते हैं। थोड़ा टटोलिए क्या आप आत्ममुग्ध हैं? यह संकीर्णतावादी का लक्षण है। इसकी छाया से उबरने के लिए आप नेतृत्व करने की दिशा में बढ़ सकते हैं।

अंक 2

अंक दो का द्वंद्व हमेशा आपके रिश्तों में भी दिखता होगा। रिश्ता चाहे रूमानी हो या भागीदारी का, आपका व्यवहार दूसरों पर कैसा प्रभाव डालता है, परखिए। यह आपको दूसरों पर निर्भर कर देता है। इस अंक की वजह से आपके मन में हमेशा डर रहता है कि कोई भी, कभी भी आपको छोड़कर जा सकता है, यह आपको ज़रूरतमंद बना देता है। अपने व्यवहार का विश्लेषण कीजिए और दूसरों से भी प्रतिक्रिया लीजिए कि वे आपके बारे में क्या सोचते हैं?

अंक 3

यह त्रय किसी प्रिज़्म की तरह है। यह बताता है कि आप बाहरी दुनिया के सामने खुद को कैसे अभिव्यक्त कर पाते हैं। या तो आप अपनी शक्ति, क्षमता को नकारते हैं या खुद के असली रूप को दूसरों से छिपाने की कोशिश करते हैं लेकिन प्रिज़्म में से जैसे प्रकाश बाहर निकल आता है, वैसे ही आपके रंगों की छटा दूसरों को दिखाई दे ही जाती है, यह तीन की ताकत है। बस देखिए कि जो रंग परावर्तित हो रहे हैं वे मनोरम तो हैं न!

अंक 4

यह अंक आपको अपने परिसर, परिदृश्य और पर्यावरण से बाँधे रखता है। यह आपकी वैचारिक और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करने में किस तरह मददगार हो सकता है, इसे देखिए। आकलन कीजिएगा कि क्या आप अपने खुद के बारे में निर्णय लेते हुए बाहरी दुनिया का दखल स्वीकार करते हैं? और किस हद तक बाहरी परिस्थितियाँ आपके निर्णयों को प्रभावित करती है, इस पर भी सोचिएगा।

अंक 5

यदि आपको हमेशा लगता है कि आप जहाँ हैं, वहाँ के आप हैं ही नहीं, कभी भी कोई भी बड़ी मुसीबत आपको ही घेर लेगी, आपके जीवन में लगातार बदलाव होता रहेगा…तो समझ लीजिए आप अंक 5 की छाया में हैं। इस अंक के अन्य लक्षण हैं- बेचैनी, हड़बड़ी, उत्सुकता, धैर्य की कमी। देखिए कहीं, सृजनात्मक बने रहने की छटपटाहट आपको व्यस्त तो नहीं कर देती?

अंक 6

क्या आप हमेशा इस भूमिका में रहते हैं कि मैं ही तारणहार हूँ या कि कभी भी कुछ भी हो जाए, ‘मैं हूँ ना…’। अच्छे बने रहने का भाव लाना इस अंक की छाया का प्रभाव है। इस अंक से घिरे लोगों को लगता है कि उनका जन्म दुनिया बदल डालने के लिए ही हुआ है। थोड़ा गहराई से देखने पर समझ आता है कि ये आत्म शुद्धीकरण की दिशा में लगे रहते हैं। क्या आप भी ऐसे हैं?

अंक 7

किसी दर्पण पर धूल जमा हो जाए तो प्रतिबिंब कैसा दिखेगा, ऐसी कुछ अंक सात की छाया है। इनकी अच्छाई हमेशा छिप जाती है। हर स्थिति को अलग-अलग नज़रिए से, गहराई से देखने की कोशिश कीजिए क्योंकि कई बार सच्चाई आपकी नज़रों के सामने नहीं आ पाती और आप सर्वोत्तम विकल्प से दूर हो जाते हैं। यदि आपकी छाया संख्या सात है तो आपको न केवल अपनी भीतरी ताकतों को पहचानना चाहिए बल्कि बाह्य जगत् में भी सर्वश्रेष्ठ को ढूँढना चाहिए। अपने परिजनों की मदद से आप अपनी ज़मीन तलाश सकते हैं, भले ही वह कितना ही दुष्कर लगता हो।

अंक 8

आपके घर-परिवार के लोग बच्चे के रूप में आपको कैसा याद करते हैं? यदि वे आपको ‘तूफ़ान’ बताते हों तो समझ लीजिए आप पर अंक आठ की छाया है। एक खिलौने से खेलते हुए दूसरे खिलौने के लिए मचलना, स्कूल में विषय लेने का प्रश्न आए तो बार-बार विषय बदलना, जितने भी ग्रीष्मकालीन शिविर लगते हों, सबमें भाग लेना…आपके बचपन का हिस्सा रहा होगा। यही आपकी बड़ी रुकावट भी है कि आपको हर दूसरी चीज़ आकर्षित करती है। आप जो भी काम हाथ में लेते हैं, उसमें पूरी तरह डूब नहीं पाते, उसकी वजह इस अंक की छाया है।

अंक 9

अंक नौ यों तो परिपूर्णता की ओर ले जाने वाला अंक है। साथ ही वह आपको जोशीला, फुर्तीला बनाता है। आपका मन जो करना चाहता है आप उसे करने के लिए हर तरह का जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं। समय पर काम पूरा करने की जद्दोज़हद आपको निराश कर देती है, थका देती है। आपको हर काम वास्तविकता के धरातल पर परखकर हाथ में लेना चाहिए क्योंकि कई बार परफेक्शनिस्ट होना अकेला भी बना देता है। एकांत में रहना अच्छा है लेकिन अकेले पड़ जाना नितांत खराब है, नहीं क्या?